“ यादविन्द्रा हूँ  मैं “

विद्या,  विनय,  वीरता  नींव  है मेरी

मिटटी और  पानी में गुणों की खान है मेरी

है कहानी  मेरी बड़ी ही दिलचस्प ,मगन हो आज सुना रहा

हर  वर्ष  मेरे  जवां  होने  का  जश्न  यूँ  ही  चलता  आ रहा |

महाराजा  यादविन्द्र का एक सुंदर विचार हूँ मैं

पंजाब  के  गौरव  की  एक  पहचान  हूँ   मैं  |

अनगिनत माँ –बाप के सपनों को पूरा करवाया है मैंने

सर्वश्रेष्ठता का टीका कितनों के ही सिर लगाया है मैंने |

मैं  नवाजता  हूँ  धर्म ,संस्कार  और  उच्च  व्यक्तित्व  से

मैं   सबका  हूँ   और  हैं   यहाँ  सब  मेरे   अपने   से |

फुल्कियंस, नीले आसमान की  छू लेना चाहते हो असीम ऊँचाइयों को

धनिनियंस , साफ़  मन  और  उच्चता  की  रहे  सदा  से   पहचान

महेंद्रियंस  ,हैं सदभाव, सह्रदयता  और  सरलता  जिनके  नाम  |

गतिविधियों और ज्ञान   का  अम्बार   है   मुझमें

यादविन्द्र हूँ  मैं ,जहान सारा समाया है मुझमें  |

मैं लिखता हूँ हर साल कितनों की ही तकदीरें

बदली  हैं  मैंने  लोगों  के  हाथों  की  लकीरें  |

मैं खूबसूरत जवान अतीत हूँ आज के  वृद्ध  यादवेंद्रियनस  का

तपती धूप में तपाकर लिखता हूँ सुंदर भविष्य मासूम बच्चों का  |

है  बस  रहा  मेरे  कण-कण  में  आत्मसम्मान

तुम्हारी रक्त्तव्हनिओं में  जोश बन करता हूँ रक्त्त संचार

हजारों परिंदों की उड़ानों को आशियाना दिया  है  मैंने

हवाओं के झोंकों को अपनी मिट्टी की खुशबू से महकाया है मैंने |

 

यादों का सिलसिला ता उम्र मन मस्तक पर रहे तुम्हारे

हँसते –खेलते ,फलते –फूलते मेरे आँगन में सदा बालक रहें तुम्हारे  |

Mrs. Sunita Kumari, Faculty , Indian Languages